1/29/2011

12/06/2010

गांधी से गुहार

तुम्हारा तो धरम-करम में विश्वास था न गांधी
तुम तो मरते दम तक चिपकाए रहे छाती से राम को
फिर, क्यों नहीं लेते एक बार फिर जनम
तुम्हारे अपने निजी, निहायत व्यक्तिगत
औलादों ने तो शायद कभी नहीं की
तुम्हारी शान के खिलाफ कोई गुस्ताखी
पर, तुम्हारे मानस -पुत्रों ने
जिनके होने या न होने में
नहीं है तुम्हारी कोई भूमिका
इसके बाद भी वे मचा रहे हैं हल्ला
तुम्हारा उत्तराधिकारी होने का
इतना ही नहीं, वे तुम्हारे नाम पर कर रहे हैं
तमाम कानूनी-गैरकानूनी धंधे
वे ले रहे हैं छोटे-बड़े सौदों में कमीशन
बेच देना चाहते हैं देश की स्वतंत्रता
जनता पर जबरन लाद दी है आर्थिक गुलामी
हो सकता वे एक दिन मजबूर कर दें
लोगों को गुलाम बनने के लिए
फिर, क्यों नहीं लेते तुम जनम
तुम्हारा जनम लेना जरूरी है
ताकि तुम खुद देख सको
कि क्या यह वही देश है
जिसका देखा था तुमने सपना
पर, इस बार नहीं चलेगा
असहयोग और अहिंसा से काम
तुम्हें भी उठाना पड़ेगा हथियार
अपने मानस पुत्रों के खिलाफ
यह काम नहीं कर सकता कोई और
तुम्हारे मानस -पुत्र तो कत्तई नहीं
इसलिए तुम्ही चुनों
किसी महिला की कोख
और जनम लो दोबारा

4/15/2010

दोहा

लोकतंत्र है देश में, कहते हैं सब लोग
फिर क्यों कर परतंत्र है, बहुतै सारे लोग

12/17/2009

दोहे

बड़ी झील खाली पड़ी, प्रकृति की पड़ी मार
पानी जब ना मिलेगा, मचेगा हाहाकार.